You are on page 1of 44

֊֑֞ռ֢᭨֛֞

շ֐։֡ըեշ֐֔շַ֠շ֐֚֐֑

DP¡CÑGPѯCJ‡JP<=+R½°1!®PUJ-m7! J_4!D?PDE^=Š->DJPRJ`•2 C\^=JR?1!®PUJ-m7!


սᱫ֚֠չָշ֧ ׂ‫֟׊‬վ֔ᲂ֐ᱶ֔չ֏չׁׁׁׄ֍֡ ֔֗֞ᳯ֑֒֞ե֛ᱹֿթ֊֍֡ ֔֗֞ᳯ֑֒ᲂ֐ᱶ
֔շַ֠շ֧ ռ֢᭨֛֧ ֌֒ո֞֊֞֎֊֑֞֞վ֞ֆ֛֞֨ ֿ֍֡ ֔֗֞֒֠֐ᱶ ը֊֧ ֗֞֔֠չ֏ᭅ֗ֆ֠
֐֞ֆ֞ձե֟֘֘֡֗ֆ֠֐֞ֆ֞ձեն֒֎Წ֧թ֚ռ֢᭨֛֧֌֒֎֊֧ᱟձ֏֫վ֊շ֫ո֞ֆ֧֛ᱹ֌֒
թ֊ռ֢᭨֛ᲂ֧֚֟֊շ֔ֆ֧ᱟձ։֡ձդ֧֚֚֏֠շ֫շժֆ֛֒շᳱ֌֧֒ ֘֞֟֊֑ᲂշ֚֞֞֐֊֞
շ֒֊֞֌ַֆֿ֛֞֨
ղ֧֚ռ֢᭨֛ᲂ֌֒֏֫վ֊շ֫֌շ֊֧֐ᱶէ֟։շ֚֐֑֏֠֔չֆ֛֞֨ն֒᭔֑֞ֈ֞֐֞ᮢ֞֐ᱶ
֔շַ֑֟ᲂշᳱֶᱨ֒ֆ֏֠֌ַֆ֛֠֨ֆ֚֫֐֑֐֧֛֊ֆն֒֌֧֚֚֨֏֠ոռᭅ֛֫ֆ֧֛ᱹֿ
թ֊շ֞֒օᲂշ֫᭟֑֞֊֐ᱶ ֒ոշ֒ը֚֞֊֧֚֠ ի֌֔᭣։֚֞֐֟ᮕ֑ᲂշ֞թ᭭ֆ֐ ֧ ֞֔
շ֒շ֧ ֑֛֊֑֞ռ֢᭨֛֞֎֊֞֊֧շ֞ᮧ֑֚֞ᳰշ֑֞վֿ֛֛֞֒֞֨
թ֚֌֡᭭ֆշ֐ᱶ֑֛֊֑֞ռ֢᭨֛֞֎֊֞֊֧շᳱᮧᳰᮓ֑֞շ֫֎ֆ֑֞֞չֿ֑֛֞֨

֧֔ո֊֚֐᭠֑֗  ֌֑֧֚֠֡֙շ֚ᳯ֑֒֞


֟ռᮢօ   ֐֧պ֊֞շ֡ ֔շօᱮ
֚֐᭠֑֛֑֚֗֞  է֊֡֌֐֑֞ֈ֗
֛֑֚֫չ   ᱨ֎֚֠֫֊֠
֟փֶ֞թ֊   ֚ե᭟֑֞֒֞փշ֒էվ֑֧֒֞֗ֆշ֒
֛֐ձշս֫ց֧ռ֢᭨֛֧֌֒ո֞֊֞֎֊֞ֆ֧֛ᱹն֒֌֢֧֒֌ᳯ֒֗֞֒շ֫֟ո֔֞ֆ֧֛ᱹֿռ֢᭨֛֞֊շ֧ ֗֔
։֡եը֍֨ ֔֞ֆ֛֞֨֎֟᭨շ֛֐֞֒֠ն֛֒֐֧֞֒ ֎Წᲂշᳱըդոᲂն֒֍ᱶ ֍փ֫շ֫֊֡շ֚֞֊֏֠
֌ᱟռ ե ֞ֆֿ֛֑֛֛֞֨֐֧֞֒ ᭭֗֞᭭᭝֑շ֛֫֞֟֊֌ᱟռ
ե ֞ֆֿ֛֞֨

ըվ֛֐ձշ֎֧֛ֆ֒֊֑֞ռ֢᭨֛֞֎֊֞֊֧
շᳱᮧᳰᮓ֑֚֞֠ոᱶչֿ֧֊֠ռ֧ᳰֈո֞ժ
֚֞֐ᮕ֠վ֡ց֞֔ᱶֿ

‫׃‬ֆչַ֞֠֎֢֞֔
֍ַ֞֗֞ ֔չ֏չ‫ׁ׆‬թե ցᱶ

‫׆ׅ‬ֆչַ֞֠
֌֞֊֠
֟֐Ჵ֠

ׁׂո֌ַ֧շ֧ ց֡ շַ֧


֔չ֏չ‫ׁ׃‬
շ֊ᱮ
֛֧֔֫շᳱսַ֧
ׁׂׂ‫׃‬թե ռ֔ե֎֠


֟֐Ჵ֠֟֐֔֞ձեֿ

ղ֚֞շ֫֊֞ռ֡֊֧
վ֛֞դ֌֒ռ֢᭨֛֞֎֊֞֊ֿ֛֞֨

վ֐֠֊շ֛֫᭨շ֧ ֧֚չ֠֔֞շ֒֔ᱶֿ


ᲊց֟֎ս֞֊֧֧֚֌֛֧֔
֟֐ցց֠շᳱձշ֌֒ֆ֔չ֞֔ᱶֿ

֟֎ս֞֊֧֧֚֌֛֧֔
ᲊցᲂշ֫֌֞֊֧֚֠֟֏չ֫֔ᱶֿ

ᲊց֫շ֫ֈ֧֚֠֗֞֒֫ձշ֛֞և
շᳱֈ֢֒֠֌֒֔չ֑֞ᱶֿ

֟վ֊֎ֆᭅ֊ᲂ֐ᱶո֞֊֞֎֊֞ֆ֧֛ᱹ
ի֊շ֫֒ոշ֒ռ֢᭨֛֧շᳱ֔᭥֎֞ժ
ն֒ռַ֬֞ժֆ֑շ֒֔ᱶֿ


ը։֠ᲊցշᳱֈ֢֒֠ս֫փֈᱶ
ֆ֞ᳰշսַᲂ֧֚֟չ֒֊֧֗֞֔֠
֒֞ոշ֫֟֊շ֚֞֔շᱶ ֿ

֔᭥֎֞ժ֔չ֏չ
‫ׇ׆‬ᲊցᲂշ֧ ֎֒֞֎ֿ֛֧֒֒
ռַ֬֞ժ֔չ֏չ
‫׃‬ᲊցᲂշ֧ ֎֒֞֎ֿ֛֧֒֒

‫ׇ‬սַᲂշ֫ձշձշիե չ֔֠
շᳱֈ֢֒֠֌֒֒ոᱶֿ

֌֛֔֠֌֒ֆշᳱ֎֞շᳱ
ᲊցᱶ֔չ֞֔չ֞ֈᱶֿ


֌֛֔֞ռ֒օթ֚ֆ֛֒ᳰֈո֊֞ռ֛֞֟ձֿ

ᲊց֫շ֧ լ֌֒
֟֐Ჵ֠շᳱձշ
֌֒ֆ֔չ֞ֈֿᱶ

ը։֠ᲊցշᳱո֞֔֠վչ֛շ֫
ᲊց֧֚քշᱶ ֿո֞֔֠վչ֛֧֚սַᲂ
֧֚֟չ֒֊֧֗֞֔֠֒֞ոշ֫
֟֊շ֚֞֔շᱶ չֿ֧


ᲊց֔չ֞ֆ֧֚֐֑᭟֑֞֊
֒ոᱶᳰշᲊցᲂշ֧ վ֫փձշֈ֚
֢ ֧֒
շ֧ ի֌֒֊ֿ֛֞֫

ֆ֠֊ռ֬և֞ժᲊց
շᳱվչ֛֒ոᱶֿ

ᲊցᲂշᳱֈ֚
֢ ֒֠֌֒ֆշ֫֌֢֒֞շ֒ᱶ ֿ

֟֐Ჵ֠շᳱ֌֒ֆ֛֒
ռ֒օ֌֒֔չ֞ֆ֧֛֒ᱶֿ

սַᲂշ֧ ֑֧֟֔ֈ֚
֢ ֒֠֌֒ֆ֐ᱶվ֫
վչ֛ս֫փ֠և֠ի֧֚ֆ֚֠֒֠
֌֒ֆ֐ᱶ֏֠սַ֫ᱶֿ

ը։֠ᲊց֏֒շᳱվչ֛ս֫փֈᱶֿթ֧֚֚
֌֞թ֌֧֚֟չ֒֊֧֗֞֔֠֒֞ոշ֫
֟֊շ֞֔֊֧֐ᱶ֐ֈֈ֟֐֧֔չֿ֠


թ֚ᮓ֐շ֫֌֢֒֞շ֒ᱶ ֿ

ռ֢᭨֛֧շ֧ է᭠ֈ֒սַᲂշ֧ ֎չ֔֐ᱶ


ձշᲊցշ֫֒ոᱶվ֧֚֨֟ռᮢ֐ᱶ
ᳰֈո֑֞֞չֿ֑֛֞֨


ռ֢᭨֛֧շ֧ էեֈ֒֎֢֞֔֏֒ֈֿᱶᳰ֍֒թ֚֎֢֞֔
շ֫ᳰ֍֚֔֌Ჵ֠շᳱֆ֛֒շᳱָ֔֞֊ֈ֧ֈֿᱶ

֎֢֞֔շ֧ լ֌֒֟֐Ჵ֠շᳱ
չ֠֔֠֌֒ֆ֔չ֞ձեֿ


ռ֢᭨֛֧շ֧ է᭠ֈ֒ᲊց֫֌֒֟֐Ჵ֠
շᳱչ֠֔֠֌֒ֆ֔չ֞֔ᱶֿ

ռ֢᭨֛֧֌֒‫׃‬սַᱶ֒ոᱶ
թ֊֧֚֎ֆᭅ֊ᲂշ֫֒ո֊֧
շ֧ ֟֔ձվչ֛ֆ֑֛֨֞֒֫չֿ֠

֚֞֐֊֧շᳱո֞֔֠վչ֛
շ֧ լ֌֒‫׃‬սַᲂշ֫֒ոᱶֿ


ռ֢᭨֛֧շ֫֊֞֌֊֧շ֧ ֟֔ձ
վ֫֎ֆᭅ֊ᲂշ֞թ᭭ֆ֧֐֞֔֌֛֧֔
ᳰշ֑֞չ֑֞և֞ի᭠֛ᱭշ֞
ի֌֑֫չշ֒շ֧ սַᲂշᳱվչ֛ ֑֛֞դձշᲊց֒ո֊֧
ֆ֑շ֒֔ᱶֿ շ֧ ֟֔ձֈ֫սַ֒ոᱶֿ

սַᲂշ֫քշ֊֧շ֧ ֟֔ձը։֧ց֢ ց֧


ᱟձո֌փᲂշ֞ի֌֑֫չշ֒ᱶ ֿ
էչ֒ց֡ շַ֧֎ַ֧֛ᱹֆ֫ի᭠֛ᱶը։֧
֛֚֟᭭ᲂ֐ᱶֆַ֫ֈᱶֿ


սַշ֧ լ֌֒֌֞թ֌շ֫
֒ոշ֒ոַ֞շ֒ᱶ ֿ
᭟֑֞֊֒ոᱶᳰշ֛֗
֌֞թ֌շ֚֫֠։֞֒ո֊֧շ֧ ֟֔ձ ֟֎֔շ֡ ֚֔֠։ֿ֛֠֫
սַᲂշ֞թ᭭ֆ֐֞֔շ֒ᱶ ֿ

։֡ըե֟֊շ֞֔֊֧շ֧ ֟֔ձձշ
֌֞թ֌֎֊֑֞ᱶֿ֌֞թ֌֎֊֞֊֧ᳰշ ֌֞թ֌շᳱ֛֚֠վչ֛ֆ֑շ֒֊֧
֟֗֟։թ֚֌֡᭭ֆշշ֧ էեֆ֐ᱶֈ֠ շ֧ ֟֔ձսֆ֧֚շ֡ սո֌ַ֧
չժֿ֛֨ ֛ց֞շ֒֌֞թ֌շ֫֒ոշ֒ֈո ֧ ᱶֿ


ձշᳯց֊շ֧ ց֡ շַ֧շ֞թ᭭ֆ֐֞֔շ֒շ֧ ֌֞թ֌շ֫քշֈᱶֿ
֑֛֌֞֊֠շ֫էեֈ֒ը֊֧֧֚֒֫շ֚շֆֿ֛֞֨
սֆշ֧ լ֌֛֚֒֠ֆ֒֠շ֧ ֧֚


[

֌֞թ֌շ֫֟֊շ֞֔ᱶֿ
֌֞թ֌ն֒ո֌ַ֧շ֧ ֎֠ռշᳱ
վչ֛շ֫ձշ᭡֔֞֟᭭ցշ
֧֚ւ֠շֆ֛֧֚֒քշֈᱶֆ֞ᳰշ
֌֞֊֠֗չ֨֒֞էեֈ֒֊ըֿ֑֧

ձշ֌֢֒֠ᲊցշ֫
սַշ֧ լ֌֒֔չ֞ձեֿ ո֞֔֠վչ֛ձշ
շ֧ ֗֔֌֞թ֌շ֧ ռ֞֒ᲂյ֒ ᲊցշ֫֒ոᱶֿ
ᲊցᲂշᳱռ֬և֠֌֒ֆ֔չ֞ձեֿ
ᲊց֧֚֫֌֞թ֌շ֫֐վ֎֢ֆ֧֚֠
ոփ֛֞֒֊֧֐ᱶ֛֑֚֞ֆ֛֞֫ֆֿ֛֠֨

֑֛վչ֛֌֞թ֌֧֚
֟֊շ֔֊֧֗֞֔֠֒֞ոշ֫֎֛֞֒
֟֊շ֞֔֊֧֐ᱶ֐ֈֈշ֧֒ չֿ֠


֑֛֞դ[թե ռշᳱᲊցշᳱ֌֒ֆ
֎֊֞ձեֿռ֢᭨֛֧֐ᱶվ֔֞֊֧֗֞֔֠֔շַ֠
շ֫թ֚վչ֛֌֒֒ո֞վ֞ֆ֛֞ᱹֿ

֎ֆᭅ֊֒ո֊֧շᳱվչ֛շ֫չ֫֔շ֒֊֧
շ֧ ֟֔ձո֌փᲂշ֧ ց֡ շַᲂշ֞թ᭭ֆ֐֞֔շ֒ᱶ ֿ


֎ֆᭅ֊֒ո֊֧շᳱվչ֛շ֧ չ֫֔շ֫
֎֊֞֊֧շ֧ ֟֔ձ֌ֆ֔֠֟֐Ჵ֠
շ֞ի֌֑֫չշ֒ᱶ ֿ

ᲊցշ֧ լ֌֒
֟֐Ჵ֠շᳱ֌֒ֆ֔չ֑֞ᱶֿ

չ֒֐֌֞թ֌շ֫ձշ֍֡ ց
֎֢֞֔ն֒֟֐Ჵ֠փ֞֔֊֧֧֚ ֆշչ֠֔֠֟֐Ჵ֑֠֞չ֫֎֒
ռ֢᭨֛֞վ᭨ֈ֠ւե փ֞֊֛֛֠֫չ֞ ֧֚քշֈᱶֿ
ն֒֔շַ֠շ֐ոռᭅ֛֫չֿ֠

ռ֢᭨֛֧ն֒ֈ֠֗֞֒շ֧ ֎֠ռ
շᳱո֞֔֠վչ֛շ֫֎֢֞֔
֧֚֏֒ᱶ ն֒֌ֆ֔֠
֟֐Ჵ֧֚֠քշֈᱶֿ

չ֧֠֔ռ֢᭨֛֧֐ᱶ֏֢֚֞վ֔֞շ֒
ի֧֚֌֒ո֔ᱶᳰշ֚֎ւ֠շւ֞շ
ռ֢᭨֛֧շ֫շ֡ ս֚֐֑ֆշ ռֿ֛֛֔֒֞֨
֢֚ո֊֧շ֧ ֟֔ձսַ֫ֈᱶֆ֞ᳰշ
֛֗ֆ֑֛֨֞֒֫վ֑֞ᱶֿ


ֈո
֧ ֔ᱶᳰշ֌֞թ֌֧֚։֡ըե
֎֛֞֒ը֛֛֒֞֨ᳰշ֊֛ᱭֿ

֎ֆᭅ֊֒ո֊֧շᳱվչ֛շ֫
ս֫ց֞֎ַ֞շ֒֊֧շ֧ ֟֔ձ
ը֌ո֌ַ֧շ֧ ց֡ շַᲂ
շ֞ի֌֑֫չշ֚֒շֆ֧֛ᱹֿ

ռ֢᭨֛֧շ֧ թֈᭅ֟չֈᭅ
ձշ֍֡ ցիե ռ֠ֈ֠֗֞֒֎֊֑֞ᱶֿթ֧֚֚֎Წ֧ըչ
֧֚֚֡֒֟ᭃֆ֛֒չ ᱶ ֿ֧


֌֞թ֌֎֊֞֊֧շᳱ֟֗֟։

ֆ֧֔շ֧ ᳯց֊շ֧ ֆ֠֊֎᭍֧֚։֫֔ᱶն֚֒֡ո֞֔ᱶֿ ᳯց֊շ֧ ֊֠ռ֧ն֒


լ֌֒շ֧ քᲥ֊շ֫շ֞ց֔ᱶֿ

ձշֆ֒֍֧֚ᳯց֊շ֫շ֞ցᱶֿ

֑֛֚֐ֆ֔ᳯց֊է֎
֐ַ֫֊֧շ֧ ֟֔ձֆֿ֑֛֨֞֒֨

թ֚ᮧշ֞֒ᳯց֊շᳱ֌֞ժ֌շ֫
֚֐ֆ֔ᳯց֊շ֛֫ևַ֧֚֬֠ ձշֆ֧֚֞֒֎֞ե։֔ᱶֿ
֛᭨շ֞֌֠ց֔ᱶֆ֞ᳰշի֧֚
֐ַ֫֊֧֐ᱶը֚֞֊ֿ֛֠֫

᭟֑֞֊֒ոᱶᳰշ֊֠ռ֧շᳱ
֌֞թ֌ի֌֒շᳱ֌֞թ֌շ֧ 
էեֈ֒‫ׇׅ‬թե ռռ֔֠
վֿ֑֧֞
է֎ᳯց֊շ֫ձշ֎֞ե֚շᳱ
֐ֈֈ֧֚֌֞թ֌շ֧ ըշ֞֒
֐ᱶ֐֫փ֔ᱶֿ


թ֚ռ֢᭨֛֧շ֧ շժ֍֑֞ֈ֧֛֫ֆ֧֛ᱹֿ

։֡ըեպ֒շ֧ ֎֛֞֒
ռ֔֞վ֞ֆֿ֛֞֨

ը֌ձշ֛֚֠֐֑֐ᱶ
‫׃‬ռֶ֠ᱶ֌շ֚֞շֆ֧֛ᱹֿ

ֆֶ֧֧֚֠ո֞֊֞ֆ֑֛֨֞֒֫վ֞ֆֿ֛֞֨
֔շַ֠շᳱ֏֠֎ռֆ֛֫ֆ֛֠֨
ն֒ռ֢᭨֛֞ֈ֧֒ֆշչ֒֐֛֒ֆֿ֛֞֨


िभ थी म रं ग,
लईका के संग

सटर फॉर ल नग रसोसज़, पुणे रा य वा य संसाधन के , छ ीसगढ़


िभ थी म रं ग, लईका के संग

िम ी का काम यह छ ीसगढ़ क अपनी कला है । के नापारा, सरगुजा से सोनाबाई रजवार ने इस कला के िलए रा य व
रा पित पुर कार जीता है एवं पूरी दिुनया म इस हत
े ु मश र ह।ै

इस पु तक म हम दख
े गे क फु लवारी क दवार पर िम ी का काम कै से करना है । याद रख यह ब के िलये है – रोज
दखने वाली आस पास क चीज़ जैसे क है ड प प, ताला चाबी, बतन, ढेक , गाड़ी, बस, साय कल, मोटर साय कल,
टोकरी, लोग – लड कयाँ, लड़के , आदमी, औरत, शरीर के अंग जैसे क हाथ, पैर, आँख, नाक, होठ, कान, जानवर –
हाथी, िब ली, कु ा, शेर, घोड़ा, गधा, गाय, बकरी, भैस, पंछी, घर, पेड़-पौधे, प े, फू ल, फल, सि जयाँ, सभी कु छ
बना सकते है |


िभ थी म रं ग, लईका के संग
दीवार पर काम शु करने से पहले आपको या करना है :
! फु लवारी िजस घर म चलती है उस घर के लोग से बात करके
उ ह समझाय क आप या करने वाले है और य करने वाले
ह।ै उनसे यह काम करने क अनुमित ल |
! अगर घर के लोग मना कर या नाखुश लगे तो
िवकासखंड सम वयक / फु लवारी सम वयक या रा य
वा य संसाधन के के कसी कायकता क मदद ले |
! घर के लोग के अनुमित के िबना कसी कार का काम
न शु कर |

दीवार पर िम ी का काम शु करते समय, माता के साथ िमलकर


आपको या करना है :
! फु लवारी म ऐसी जगह चयन कर जहाँ पर ब े यादा से
यादा समय िबताते हो |
! हो सके तो इस जगह भरपूर रोशनी हो पर वह जगह धूप से
ढक हो ।
! याद रखे िम ी के काम क जगह और उं चाई ऐसी हो क सब
से छोटा ब ा भी उसे दख
े सके और छू कर महसूस कर सके ।
! आमतौर पर आप जमीन से २ फ ट तक इसे बना सकते है ।
! सभी माता को, गाँव के अ य सद य को जैसे कू ल जाने
वाले ब को इस काम म जोड़े ।
! छोटी छोटी चीज़ जैसे बटन, इमली, सीताफल के बीज, छोटी
लकिड़याँ तैयार रखे । उनसे आप आँख या कोई और आकार बना
सकते है ।


िभ थी म रं ग, लईका के संग

िम ी का काम करने के िलये :


! ऐसी िम ी तैयार कर िजसे अपने आपके घर के काम म आप
इ तेमाल करते हो | यान रखे क िम ी और घास (पु टा) का
ऐसा िम ण बने जो दीवार पर अ छे से पकड़ सके |

! सब से पहले दीवार से िम ी खर च. और दीवार पर खर चे बनाय


ता क वह ऊपर से िम ी पकड़ सके । धूल, ढीली िम ी को अ छे से
साफ़ कर |

! फर दीवार को लीप ।

! फर आप जो बनाना चाहते है उस िहसाब से िम ी का पतला


परत वाला आकार दीवार पर बनाये। वह पतला हो ता क वह
िगरे नह ।

! अंत म एक आखरी िम ी का हाथ लगाकर िडजाइन प ा कर।


फर उसे सूखने छोड़ दे ।
! िजस दन आप यह िम ी का काम करगे, उसके अंत म कोई
दो लोग तय कर जो सूखते ए िम ी का आकार पर यान
दन
े े क िज मेदारी ले। जैसे सूखगे उनमे दरारे बनगे । उन दो
लोग को फर से उ ह गीला कर पूरा करना पड़ग े ा।


िभ थी म रं ग, लईका के संग
जब िम ी का काम पूरी तरह सूख जाय :
! जब आपने बनाय ए िम ी के आकार अ छे से सूख जाते है तो आप
उ ह रं ग दे सकते है । आपको जो ाकृ ितक रं ग पता है उ ही का
इ तेमाल कर, जैसे क ह दी, अलग अलग रं ग क िम ी, काले के िलए
कोयला, नीले के िलए नील, हरे रं ग के िलए हरे प े इ या द । ऐसे रं ग
िजनमे के िमकल हो और वे ब के िलए हािनकारक हो उसका
िबलकु ल भी इ तेमाल न कर । ब े जब उनको छू एंगे, उनके साथ
खेलगे और फर वही हाथ अगर वे उनके आँख म या नाक म या कान
म डाले तो उ ह हािन हो सकती है । इसिलए िसफ ाकृ ितक रं ग का
ही इ तेमाल कर ।

ब को िम ी से बनाये आकार से खेलने के िलए ो सािहत कर


! ब को िम ी से बने आकार को दख
े ने द,े छू ने, महसूस करने दे ।
उ ह नाम दन
े े के िलए ो सािहत कर । उन आकार क कोई कहानी व
गीत बनाय और ब को सुनाय | ब को उनके साथ खूब खेलने दे ।


UNICEF
503 Civil Lines, Raipur - 492001

Centre For Learning Resources


8 Deccan College Road, Pune - 411 006
amÁ` ñdmñÏ` g§gmYZ Ho$ÝÐ, N>ÎmrgJ‹T> g|Q>a \$m°a b{ZªJ [agmog}µO

रोशनदान बालू क यारी तीन पिहये क गाड़ी


लेखन, िच ण : पीयुष सेकस रया

िह दी अनुवाद : राज ी पांडे

सम वय सहाय : अनुपम यादव

सहयोग : बी सोनी

िडज़ाइन : सं या राडकर, अजय रावेतकर

c g|Q>a \$m°a b{ZªJ [agmog}µO

दस बर २०१६

amÁ` ñdmñÏ` g§gmYZ Ho$ÝÐ, N>ÎmrgJ‹T> g|Q>a \$m°a b{ZªJ [agmog}µO


रोशनदान
फु लवारी काय म म हम यह कोिशश कर रह ह क कस तरह से

दन क रोशनी घर म आ सके |

1
रोशनदान

इस चादर क चौड़ाई ४ फ ट और लंबाई ८


फ ट होनी चािहए|

हमारे घर इस कार से बने ह क इनम


िखड़ कयाँ कम होती ह|
इसे २ िह स म काट द ता क दो कमर म
दन के उजाले म भी घर के अ दर अँधेरा
रोशनदान बना सक|
होता ह|ै ऐसे अँधेरे म ब े अ सर डर
जाते ह या उनका मन नह लगता ह।ै

ाम वा य, व छता एवं पोषण सिमित क


सहयोग से हरे या सफ़े द रं ग क लाि टक क
चादर लगायी जा सकती ह।ै सिमती के सद य
यह चादर आस पास के छोटे शहर से य कर
सकते है । इसक क मत लगभग ६०० .
होगी, प चँ ाने का खच अलग दन े ा होगा|

2
छत क उस जगह को चुने जहाँ आपको
यह चादर लगानी ह| याद रहे यह थान
चू हे के ऊपर न हो|

4. खपर को दािहनी ओर तथा बा ओर


दब
ु ारा लगा द|

1. छत पर चढ़कर ४ फ ट के चौकोन क
जगह से खपर िनकाल द| यह खपर
संभालकर रख|

5. चादर के िनचले भाग म खपर को इस


कार से लगाएं|

2. अब उस हरी लाि टक क चादर को िबछा


द|

6. खपर को इस कार िनचले भाग म रख


िजससे हवा के कारण चादर उड़ न जाए |

3. अब खपर को चादर के ऊपरी िह से म


लगा द|

3
7. खपर को इस कार से लगाए क बा रश 8. आपका रोशनदान अब तैयार ह|ै
के समय ज़रा भी पानी अ दर न आये|

ऐसे उजाले से कमरे म ब त फरक पड़ता


है और ब को भी यहाँ खेलना अ छा
लगता ह|ै

4
बालू क यारी
िमल कर खेलने, एक दस
ू रे का हाथ बटाने से

सामािजक, भावना मक िवकास क न व पड़ने लगती ह|ै

5
बालू क यारी
ब के िलए बालू म खेलना मज़े क बात तो है
ही, इससे उनके िवकास के ब त से रा ते भी
खुल जाते ह| साथ ही उनके छोटी बड़ी
मांसपेिशय का खूब िवकास होता ह|ै इस बात
से न घबराएं क ब े गंदे हो जायगे,या बालू खा
लगे या उ ह चोट लग जायेगी| कोई बड़ा आस
पास है तो ऎसी दघ
ु टनाएँ ब त कम होती ह|
आजकल हम फु लवा रय म बालू क यारी
बनाने को ो साहन दे रह ह|

इसके िलए आपको २० बाि टयाँ साफ़ व छ


बालू लगेगी|
यह बालू क यारी फु लवारी के बाहर आंगन म
छाँव म होना चािहए और ऐसे जगह जहाँ से
माता यान दे सक|

1. इस बालू क यारी का आकार एक 2. चटाई हटा कर, ६ इं च तक खोदकर


चटाई िजतना होना चािहए | एक चटाई िमटटी िनकाल ल|
को चुने ए जगह पर रखकर उसका
आकार बना ल|

6
3. इस िमटटी का एक ढेर बना ल, इसे 6. अब इसम बालू भर द| इस काय म
फके मत| िजतने लोग जुड़ सकते ह उ ह साथ ल,
इससे अपनेपन क भावना उ प
होगी|

4. अब पानी िमलाकर एक सपाट और 7. इस बालू को यारी म अ छी तरह


उभरी ई दवार बना ल| ता क अंदर फै ला द|
क रे त बाहर न आ पाये।

5. खोदे गए यारी से कं कर-प थर 8. बालू म से कं कर-प थर और ऐसी चीज़े


िनकालकर अ छी तरह से साफ़ कर ल| िनकाल द, िजससे ब को चोट लगने
का डर हो|

7
9. बालू क यारी क गहराई ६ इं च होनी 10. इस यारी से कु े, िब ली या बक रय
चािहए| को दरू रखना चािहए|

Ÿ बालू क यारी पूरी तरह से सूखने के बाद ही ब को इसम खेलने दीिजये|


Ÿ समय-समय पर माता को बालू म से कं कर-प थर, या ऐसी अ य चुभनेवाली चीज़ को िनकलकर
साफ़ करना चािहए|
Ÿ य द बालू क मा ा कम हो जाये तो उसे दब
ु ारा भर द|
Ÿ य द बालू िमलने म क ठनाई हो तो बा रश से पहले बालू को िनकलकर अ दर रख द|

Ÿ य द फु लवारी के बाहर जगह नह है तो घर के मािलक क अनुमित लेकर आप अ दर ही इस कार से


बालू क यारी बना सकते ह|
Ÿ जब ब े बालू से घर, महल, सुरंग, मू तयाँ बनाते ह तो उनसे जुड़ी कहािनयाँ एक दस
ू रे को सुनाते ह|
भाषा खूब िनखरने लगती ह|ै
Ÿ कु छ बनाते ह तो िव ान और गिणत क पहली पहली समझ बनना शु हो जाता ह|ै आगे जा कर इन
िवषय को समझने म आसानी होगी।

8
तीन पिहये क गाड़ी
ब को खेलना ,कू दना, गाडी चलाना, चीज को

एक जगह से दस
ू री जगह तक धके लना ब त अ छा लगता ह|ै

9
तीन पिहये क गाड़ी

Ÿ चलना सीखना बचपन का एक मह वपूण चरण ह|ै

Ÿ कु छ ब े अपने आप चलना सीखते ह और कु छ ब को सहायता क


आव यकता होती ह|ै
Ÿ कई घर म तीन पिहये क गाड़ी होती थी, िजससे ब को चलने म
मदद होती थी|
Ÿ आज भी कु छ माता-िपता इस कार क गाड़ी खरीदते ह या वयं बना
लेते ह| ले कन अफ़सोस यह दस
े ी िखलौना अब अिधकांश घर म नज़र
नह आता|
Ÿ तीन पिहये क गाड़ी एक कार का िखलौना ह जो सभी उ के ब को
अ छा लगता ह|ै
Ÿ फु लवा रय म हम तीन पिहये क गाड़ी के इ तेमाल को बढ़ावा दे रह ह|

10
ब को तीन पिहए क गाड़ी इतनी पसंद
है क अ सर इसे लेकर ब म झगड़ा हो
जाता ह!ै इसिलए ज़ री हो गया है क
येक फु लवारी म कम से कम दो या तीन
गािड़याँ हो|

तीन पिहये क गाड़ी को आप बाज़ार से


आसानी से खरीद सकते ह| क तु आमतौर
पर दख
े ा गया ह,ै क ब के िपता इसे घर
म वयं बना लेते ह|

समय समय पर इस गाड़ी क मर मत


करनी पड़ती ह|ै फु लवारी क माता को
इसका यान रखना आव यक ह|ै य द ऐसा
न कया तो छोटे ब े इस मह वपूण
गितिविध को न कर पाएंगे|

जब भी आप तीन पिहये क गाड़ी खरीदते


ह, या खुद बनाते ह या उसक मर मत
करते ह इस बात का यान रहे क कही से
भी कोई क ल न िनकली हो या फर इसम
ऐसी कोई व तु न हो िजससे ब को चोट
प चं े|

11
ट पणी

12
g|Q>a \$m°a b{ZªJ [agmog}µO
1. New Stoves - Less smoke, less wood, less time:
https://www.youtube.com/watch?v=9u6QM3z7cTg&t=62s

2. Skylight - Phulwari (Creche program) Chattisgarh:


https://www.youtube.com/watch?v=rP4_tq3mz3s&t=10s
3. Toy Making Campaign for early childhood development:
https://www.youtube.com/watch?v=kbAro2UDAzU&t=201s

4. Sandpit - Phulwari (Creche Program) Chattisgarh:


https://www.youtube.com/watch?v=UBQmb17pGaU

You might also like